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हिमाचल सरकार ने कर्मचारियों के लिए नए वेतनमान की घोषणा की

अनुबंध कर्मचारियों के नियमितीकरण की अवधि तीन वर्ष से घटाकर दो वर्ष करने की घोषणा

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की आज यहां आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए राज्य के कर्मचारियों को 1 जनवरी, 2016 से नया वेतनमान प्रदान करने और जनवरी, 2022 का वेतन संशोधित वेतनमान के अनुसार फरवरी, 2022 में देने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनभोगियों को भी 1 जनवरी, 2016 से संशोधित पेंशन और अन्य पेंशन लाभ दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि संशोधित वेतनमान और संशोधित पेंशन/पारिवारिक पेंशन पर महंगाई भत्ता और महंगाई राहत प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि नए वेतनमान और संशोधित पेंशन से राज्य के कोष पर सालाना 6000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय वहन करना पड़ेगा।

जय राम ठाकुर ने राज्य सरकार के कर्मचारियों को केंद्र सरकार के 5 मई, 2009 के कार्यालय ज्ञापन के अनुसार 15 मई, 2003 से नई पेंशन प्रणाली (इनवेलिड पेंशन और फैमिली पेंशन) के कार्यान्वयन की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि इससे राज्य के कोष पर करीब 250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार के अनुबंध कर्मचारियों के नियमितीकरण की अवधि तीन वर्ष से घटाकर दो वर्ष करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों, अंशकालिक कामगारों, जल रक्षकों और जलवाहकों आदि के संबंध में नियमितीकरण/दैनिक वेतनभोगी के रूप में रूपान्तरण के लिए भी एक-एक वर्ष की अवधि कम की जाएगी।

उन्होंने लंबित चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों के भुगतान के लिए 10 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जारी करने की भी घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि करूणामूलक आधार पर नियुक्ति के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जायेगी। यह समिति आगामी मंत्रिमण्डल बैठक में अपनी प्रस्तुति देगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के जनजातीय क्षेत्रों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी एवं अनुबंध कर्मचारियों को जनजातीय भत्ता देने पर भी विचार करेगी।

जय राम ठाकुर ने कहा कि एनपीएस कर्मचारियों को अब पेंशन निधि चुनने की स्वतंत्रता होगी, जिससे उनके निवेश पर बेहतर रिटर्न सुनिश्चित हो सकेगा। उन्होंने कहा कि अब तक इन कर्मचारियों को सरकार द्वारा चुनी गई पेंशन निधि में ही निवेश अनिवार्य था। उन्होंने कहा कि सभी एनपीएस कर्मचारियों को डीसीआरजी लाभ प्रदान किया जा रहा है और अब सरकार ने 15 मई, 2003 से 22 सितम्बर, 2017 तक इस लाभ से वंचित एनपीएस कर्मचारियों को ग्रेच्युटी प्रदान करने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास में कर्मचारियों का उल्लेखनीय योगदान रहा हैं। कर्मचारियों की परिश्रम, समर्पण और प्रतिबद्धता के कारण ही हिमाचल आज देश के अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या और कर्मचारी अनुपात के मामले में भी हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और हिमाचल भी इसका अपवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों ने इस महामारी से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और राज्य इस संकट से सफलतापूर्वक बाहर निकलने में सफल रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार अपने कुल बजट का लगभग 43 प्रतिशत कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर व्यय कर रही है, जो कि छठे वेतन आयोग के लागू होने के बाद 50 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले लगभग चार वर्षों के दौरान राज्य सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के डीए में 22 प्रतिशत की वृद्धि की है और उन्हें 1320 करोड़ रुपये का वित्तीय लाभ प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त उन्हें 12 प्रतिशत अंतरिम राहत की दो किस्तें भी प्रदान की गईं, जिससे कर्मचारियों को लगभग 740 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त एवं कार्मिक प्रबोध सक्सेना ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया और बैठक की कार्यवाही का संचालन किया। उन्होंने कहा कि नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्यों में हिमाचल प्रदेश केरल के बाद दूसरा राज्य है।

राज्य एनजीओ फेडरेशन के अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के कुशल नेतृत्व में वर्तमान राज्य सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों का कल्याण सुनिश्चित किया है और कर्मचारियों ने अविलम्ब अपने सभी देय लाभ प्राप्त किए हैं। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान भी, प्रदेश सरकार ने कई अन्य राज्यों के विपरीत यह सुनिश्चित किया कि कर्मचारियों को उनका वेतन और बकाया समय पर मिले।

राज्य एनजीओ फेडरेशन के महासचिव राजेश शर्मा ने कर्मचारियों की विभिन्न मांगों पर विचार करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि एक साधारण परिवार से सम्बन्ध रखने वाले मुख्यमंत्री आम आदमी की कठिनाइयों से भलीभांति परिचित हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि कर्मचारी राज्य सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करेंगे।

मुख्य सचिव राम सुभग सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय गुप्ता, आर.डी. धीमान और जे.सी. शर्मा, प्रधान सचिव ओंकार शर्मा, रजनीश और सुभाशीष पांडा, सचिव देवेश कुमार, अमिताभ अवस्थी, डाॅ. अजय शर्मा, अक्षय सूद सहित अन्य अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।

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