भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने प्रधानमंत्री की उत्तराखंड यात्रा को सुखद और सौगात भरा बताया
देहरादून। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उत्तराखंड से विशेष लगाव है। वे जब-जब भी देवभूमि आए, तब-तब एक सुखद वातावरण सृजन के साथ कई सौगात भी देते आए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा ऋषिकेश से विभिन्न राज्यों में स्थापित 35 पीएसए आक्सीजन प्लांट को राष्ट्र को समर्पित करने का अवसर भी राज्य के लिए गौरवशाली क्षण है।
कौशिक ने कहा कि कोरोनाकाल में भी प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड की भरपूर मदद की है। वर्तमान में राज्य में जो बड़ी विकास योजनाएं चल रही हैं, उनमें प्रधानमंत्री का विजन और सेवा व समर्पण का भाव है। उन्होंने कहा कि चारधाम क्षेत्र को अधिक सुविधाजनक बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री शुरू से ही प्रयासरत रहे। इसी का परिणाम है कि चारधाम आल वेदर रोड परियोजना, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना से राज्य के आखिरी गांव तक सुविधाजनक यात्रा का सपना साकार होने जा रहा है। इससे पहाड़ में रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
उन्होंने कहा कि आपदा के बाद प्रधानमंत्री केदारनाथ के पुनर्निर्माण कार्यों की स्वयं मानीटरिंग कर रहे हैं, जो विकास के प्रति उनकी सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखंड राज्य बनाया और अब प्रधानमंत्री मोदी इसे संवार रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुआई में उत्तराखंड विकास की दृष्टि से आदर्श राज्य बनेगा। वैसे भी प्रधानमंत्री ने कभी भी राज्य के विकास को लेकर निराश नहीं किया, बल्कि खुद विकास कार्यों के लिए पहल की है।
पीएम का दौरा और ‘सात’ का संयोग
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऋषिकेश दौरे के मद्देनजर सात के अंक का संयोग भी रहा। मोदी 20 साल पहले सात अक्टूबर को गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। गुरुवार को उनकी इस यात्रा ने 21 वें वर्ष में प्रवेश किया। गुरुवार को ही शारदीय नवरात्र का पहला दिन था। शायद इस संयोग को देखते हुए प्रधानमंत्री ने आक्सीजन प्लांट के लोकार्पण के लिए ऋषिकेश को चुना। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में अपनी यात्रा का जिक्र किया तो देवभूमि से अपने लगाव के बारे में भी बताया। साथ ही नवरात्र की शुभकामनाएं देे हुए कहा कि प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है और वह हिमालय पुत्री हैं। इस दिन यहां आकर हिमालय की इस धरती को प्रणाम कर वह खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं।