उपराष्ट्रपति ने कहा- भारतीय संस्कृति किसी धर्म को बदनाम करने की बात नहीं सिखाती, देश की शांति को नुकसान पहुंचाना चाहते कुछ लोग
नई दिल्ली
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने विभाजनकारी एजेंडे के तहत देश की शांति और अखंडता के लिए खतरा पैदा करने वाली ताकतों और निहित स्वार्थों के खिलाफ बीते दिन आगाह किया। नायडू ने जोर देते हुए कहा कि ‘किसी भी संस्कृति, धर्म या भाषा को बदनाम करना भारतीय संस्कृति नहीं है’। उन्होंने प्रत्येक नागरिक से भारत को कमजोर करने वालों के खिलाफ एकजुट होने और राष्ट्र के हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी लेने का आह्वान किया।
आजादी का अमृत महोत्सव सेनानियों को याद करने का अवसर
विजयवाड़ा में स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार दमराजू पुंडरीकक्षुडु की जीवन यात्रा पर एक पुस्तक का विमोचन करते हुए नायडू ने कहा कि ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ हमें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हमारे नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए कई बलिदानों को याद करने का अवसर है।
सभी संस्कृतियों का सम्मान ही हमारा धर्म
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि भारत के सभ्यतागत मूल्य सभी संस्कृतियों के प्रति सम्मान और सहिष्णुता सिखाते हैं और छिटपुट घटनाएं भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकाचार को कमजोर नहीं कर सकती हैं।
नायडू ने इसी के साथ अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि खराब करने के प्रयासों की निंदा भी की।
उन्होंने कहा कि भारत का संसदीय लोकतंत्र और बहुलवादी मूल्य दुनिया के लिए अनुकरणीय माडल है।
किसी भी तरह का विभाजन देश के लिए खतरनाक
उपराष्ट्रपति ने युवाओं से गरीबी, अशिक्षा, सामाजिक भेदभाव और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार से मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में प्रयास करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि है। नायडू ने कहा कि समाज में ‘विभाजन’ चाहे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच हो या सामाजिक वर्गों के बीच और लिंग के बीच हो इससे अंततः देश ही कमजोर होता है।
नायडू ने इसी के साथ स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्षेत्र के नेताओं के विभिन्न प्रयासों को याद करते हुए हाल ही में आंध्र प्रदेश के भीमावरम में महान स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू की प्रतिमा के अनावरण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी सराहना की।